19. मैजिक स्ट्रॉ

कहानी का उददेश्य: विद्यार्थी स्वयं के भूल को स्वीकारने तथा सुधारने का प्रयास करें।

कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
राहुल अपने पापा के साथ एक दुकान में गया। वहाँ उसने देखा सभी वस्तुएँ सजाकर रखी हुई थीं। एक काँच वाले फ्रिज में कई तरह के पीने की वस्तुएँ थीं – किसी पैकेट में जूस था किसी में दूध, और किसी बोतल में कोई और सॉफ्ट ड्रिंक। राहुल ने पापा से पूछकर एक सेब के जूस का पैकेट उठा लिया। पापा जब हिसाब किताब करके पैसे देने को बढ़े, तभी राहुल ने कहा कि उसे जूस नहीं दूध चाहिए और उसने जाकर जूस का पैकेट रख दिया और दूध का उठा लाया।
बाहर आते ही राहुल ने पापा को एक स्ट्रॉ दिखाते हुए कहा, “पापा, ये देखिए मैजिक स्ट्रॉ! यह कई जगह से मुड़ता है। है न सुंदर!”
पापा ने आश्चर्य जताते हुए कहा, “हां, यह तो बहुत सुंदर है! क्या दूध के साथ दिया था?”
“नहीं! यह तो…”, इतना कह राहुल कुछ बेचैन-सा हो उठा। उसने अपने पापा से कहा, “क्या आप मेरे लिए वो जूस भी खरीद देंगे?”
पापा ने कहा, “अभी – अभी तो आपने दूध पिया। यदि जूस ज्यादा पसंद था तो वही ले लेते!“
इस पर राहुल ने पापा को बताया कि उससे एक गलती हो गई है। उसे सुधारने के लिए वह जूस खरीदना चाहता है। उसे उस जूस के पैकेट के साथ चिपका हुआ मैजिक स्ट्रॉ अच्छा लगा था और उसने वह बिना बताए निकाल लिया था। अब कोई जब वही पैकेट उठाएगा, तो उसे मैजिक स्ट्रॉ तो नहीं मिलेगा!”
यह सुन पापा जल्दी से दुकान में वापस जाकर वह जूस का पैकेट ख़रीद लाए और पैकेट राहुल की ओर बढ़ाया। तभी राहुल ने अपना मैजिक स्ट्रॉ उनकी ओर बढ़ाते हुए कहा, “थैंक यू पापा! यह जूस आप पी लीजिए।”

चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न: 1. राहुल ने पापा को “थैंक यू” क्यों कहा? (इस प्रश्न के माध्यम से बच्चों का ध्यान केवल वस्तु उपलब्ध कराए जाने से आगे उसके मन के बोझ को हल्का करने में मिले सहयोग की ओर जाए।)
2. राहुल अपनी गलती और कैसे सुधार सकता था?
3. क्या कभी ऐसा हुआ है कि आपने किसी की कोई चीज़ उससे बिना पूछे ले ली हो? वैसा आपने क्यों किया था? (कोई ज़रूरत थी/वस्तु अच्छी लगी/…) (ध्यान रखें कि चर्चा में चोरी जैसे शब्दों का प्रयोग न हो।)
4. क्या आपने उसे वह वस्तु लौटा दी थी? क्यों या क्यों नहीं?
5. अब यदि आपको कोई वस्तु पसंद आती है, तो आप क्या करेंगे? क्यों?

चर्चा की दिशा:
कई बार कुछ वस्तुएँ या परिस्थितियाँ हमें ललचाती या उकसाती हैं। उस आकर्षण में उठाए गए कदम से हो सकता है कि किसी का नुकसान हो जाए। इस चर्चा में यह प्रयास रहे कि ऐसे प्रभावों से बचने पर ध्यान जाए; और यदि किसी से कभी ऐसा हो भी गया तो वह अपनी ग़लती स्वीकार करके उसे सुधारने का प्रयास करे। इस कहानी में हम यह देख पाते हैं कि व्यक्ति की इच्छा में गलती करना या किसी और का नुक़सान करना नहीं होता है। वह अपने सुख की चाहत में वैसा कुछ कर जाता है। पर यदि अवसर उपलब्ध हो, तो वह उसे ठीक करना भी चाहता है।

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज पूरे दिन इस बात पर ध्यान देंगे कि कहीं मुझसे कोई ऐसी गलती तो नहीं हो रही है जिससे किसी और का नुकसान हो रहा हो।

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  1. मिलजुल कर
  2. लंच ब्रेक
  3. आलू का पराँठा
  4. रोहन की जुराबें
  5. एक नई धुन
  6. मन का बोझ
  7. एक जूता
  8. दो दोस्त
  9. किसकी पेंसिल अच्छी?
  10. एक चिट्ठी दादाजी के नाम
  11. चंदू की सूझ-बूझ
  12. थोड़ी सी मस्ती
  13. फूलदान या गमला
  14. दोस्ती की दौड़
  15. मैं भी मदद करूँगा
  16. वो पैसे
  17. मेरे दोस्त की नाव
  18. बीच का पन्ना
  19. मैजिक स्ट्रॉ
  20. मोबाइल गेम
  21. हमारा प्यारा चाँद
  22. रोहित भैया का रॉकेट
  23. ऐसा क्यों?
  24. पिकनिक
  25. दादी का जन्मदिन

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