कहानी का उद्देश्य: व्यवस्था बनाए रखने में भागीदारी के लिए प्रेरित करना। साथ ही स्वयं की खुशी और दूसरों की खुशी के समान आधार ढूंढने का प्रयास करना।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
राजू अपने दादाजी के साथ रोज़ शाम को पार्क में जाता था। एक दिन उसने एक माली को पार्क में पौधों को पानी देते देखा। उस पार्क में बहुत सारे फूल थे। राजू ने दादाजी से कहा, “दादाजी फूल कितने सुंदर हैं, मैं कुछ फूल तोड़ कर ले जाऊँगा और फूलदान (flower vase) में लगाऊंगा।”
बच्चों से प्रश्न करें:
1. क्या आप कभी पार्क में गए हैं? (हाथ उठाएँ)
2. अगर आपके पार्क में से कोई फल या फूल तोड़कर ले जाए तो आपको कैसा लगेगा?
दादाजी ने राजू से पूछा, “ऐसा करने से तुम्हें तो ख़ुशी मिलेगी, पर क्या तुम्हारे बाद जो पार्क में आयेंगे, उन्हें अच्छा लगेगा? और क्या माली भी ख़ुश होगा, जिसकी इसमें मेहनत लगी है?” राजू बोला, “नहीं! उन्हें तो अच्छा नहीं लगेगा।”
दादाजी बोले, “क्या ऐसा कुछ किया जा सकता है कि तुम्हें भी खुशी मिले और दूसरों को भी?”
राजू ऐसा क्या-क्या कर सकता है? (बच्चों से पूछे)
राजू बोला, “हाँ दादाजी! एक काम कर सकते हैं, माली भैया के साथ अगर मैं फूल लगाने में मदद करता हूँ तो वे भी ख़ुश हो जाएँगे और मैं भी फूल लगाना सीख जाऊँगा ।”
अगले दिन राजू अपने दादाजी के साथ कुछ पौधे लेकर गया और माली भैया के साथ पार्क में लगाने लगा। राजू का उत्साह देखकर माली को अच्छा लगा। उन्होंने फूलों वाले पौधे का एक गमला उसे दिया और कहा, “इसे पानी देते रहना, इसमें और भी फूल खिलेंगे।”
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न-
1. फूल पौधों में अच्छे लगते हैं या फूलदान में? ऐसा आपको क्यों लगता है?
2. आपमें से यदि किसी का ध्यान अपने घर में या आस-पड़ोस में किसी की मेहनत पर गया हो, तो बताएँ।
3. क्या विद्यालय में भी कोई आपकी सुविधा के लिए कुछ करता है? वे लोग कौन-कौन हैं?
4. क्या आप उनमें से किसी के काम में सहयोग करते हैं या कर सकते हैं? यदि हाँ, तो कैसे?
चर्चा की दिशा:
इस कहानी में दो पक्ष उभरकर नज़र आते हैं- पहला, किसी के श्रम का सम्मान और उसकी खुशी का ध्यान रखना और दूसरा, प्रकृति के साथ तालमेल रखते हुए स्वयं की खुशी देखना। विद्यार्थियों का ध्यान माली, सफाईकर्मी, आया (सहायिका) जैसे सहयोगियों के श्रम की ओर जाए और उनके व्यवहार में वह एहसास झलके। साथ ही उनका ध्यान प्रकृति के संरक्षण की ओर भी जाए।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम ध्यान देंगे कि हमारे कारण किसी का कोई काम ख़राब तो नहीं हुआ। यदि ऐसा हुआ, तो उसे सुधारा कैसे?
कल हम अपने अनुभव साझा करेंगे।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
राजू अपने दादाजी के साथ रोज़ शाम को पार्क में जाता था। एक दिन उसने एक माली को पार्क में पौधों को पानी देते देखा। उस पार्क में बहुत सारे फूल थे। राजू ने दादाजी से कहा, “दादाजी फूल कितने सुंदर हैं, मैं कुछ फूल तोड़ कर ले जाऊँगा और फूलदान (flower vase) में लगाऊंगा।”
बच्चों से प्रश्न करें:
1. क्या आप कभी पार्क में गए हैं? (हाथ उठाएँ)
2. अगर आपके पार्क में से कोई फल या फूल तोड़कर ले जाए तो आपको कैसा लगेगा?
दादाजी ने राजू से पूछा, “ऐसा करने से तुम्हें तो ख़ुशी मिलेगी, पर क्या तुम्हारे बाद जो पार्क में आयेंगे, उन्हें अच्छा लगेगा? और क्या माली भी ख़ुश होगा, जिसकी इसमें मेहनत लगी है?” राजू बोला, “नहीं! उन्हें तो अच्छा नहीं लगेगा।”
दादाजी बोले, “क्या ऐसा कुछ किया जा सकता है कि तुम्हें भी खुशी मिले और दूसरों को भी?”
राजू ऐसा क्या-क्या कर सकता है? (बच्चों से पूछे)
राजू बोला, “हाँ दादाजी! एक काम कर सकते हैं, माली भैया के साथ अगर मैं फूल लगाने में मदद करता हूँ तो वे भी ख़ुश हो जाएँगे और मैं भी फूल लगाना सीख जाऊँगा ।”
अगले दिन राजू अपने दादाजी के साथ कुछ पौधे लेकर गया और माली भैया के साथ पार्क में लगाने लगा। राजू का उत्साह देखकर माली को अच्छा लगा। उन्होंने फूलों वाले पौधे का एक गमला उसे दिया और कहा, “इसे पानी देते रहना, इसमें और भी फूल खिलेंगे।”
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न-
1. फूल पौधों में अच्छे लगते हैं या फूलदान में? ऐसा आपको क्यों लगता है?
2. आपमें से यदि किसी का ध्यान अपने घर में या आस-पड़ोस में किसी की मेहनत पर गया हो, तो बताएँ।
3. क्या विद्यालय में भी कोई आपकी सुविधा के लिए कुछ करता है? वे लोग कौन-कौन हैं?
4. क्या आप उनमें से किसी के काम में सहयोग करते हैं या कर सकते हैं? यदि हाँ, तो कैसे?
चर्चा की दिशा:
इस कहानी में दो पक्ष उभरकर नज़र आते हैं- पहला, किसी के श्रम का सम्मान और उसकी खुशी का ध्यान रखना और दूसरा, प्रकृति के साथ तालमेल रखते हुए स्वयं की खुशी देखना। विद्यार्थियों का ध्यान माली, सफाईकर्मी, आया (सहायिका) जैसे सहयोगियों के श्रम की ओर जाए और उनके व्यवहार में वह एहसास झलके। साथ ही उनका ध्यान प्रकृति के संरक्षण की ओर भी जाए।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम ध्यान देंगे कि हमारे कारण किसी का कोई काम ख़राब तो नहीं हुआ। यदि ऐसा हुआ, तो उसे सुधारा कैसे?
कल हम अपने अनुभव साझा करेंगे।
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- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
- ऐसा क्यों?
- पिकनिक
- दादी का जन्मदिन
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