कहानी का उददेश्य: विद्यार्थियों का ध्यान आपसी संबंधों को मधुर बनाए रखने के लिए किए जा सकने वाले प्रयासों की ओर जाए। साथ ही संबंधो में परस्पर अपेक्षाओं की ओर भी ध्यान जा सके।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
सोनू अपने परिवार के साथ रहता था। आज सोनू का जन्मदिन था, वह बहुत उत्साहित था और घर के सामने वाले पार्क में खेलने गया। उसने देखा कि दादी वहाँ पहले से थीं और कुछ कर रही थीं।
सोनू भाग कर दादी के पास गया और देखा कि दादी तो एक छोटा सा पौधा लगा रही थीं। दादी ने सोनू को देखते ही उसे गले लगा लिया और बोलीं- “जन्मदिन की बधाई सोनू बेटा!”
सोनू भी दादी के गले लग कर बोला, “थैंक यू दादी!”
फिर सोनू ने पूछा, “दादी आप क्या कर रही हैं?”
दादी बोलीं, “आज तुम्हारा जन्मदिन है ना इसलिए मैं यह छोटा सा पौधा लगा रही हूँ। यह पौधा भी तुम्हारे साथ-साथ बड़ा होगा!”
सोनू को यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। अब तो रोज़ वह पार्क में जाता और उस पौधे में पानी डालता।
कुछ दिनों बाद दादी का जन्मदिन आया। सोनू सुबह-सुबह दादी का हाथ पकड़कर, उन्हें पार्क में लेकर गया और बोला - “दादी देखो!”
[सोनू ने दादी को क्या दिखाया होगा?]
सोनू बोला, “दादी आज आपका जन्मदिन है ना! मैंने भी आपके लिए एक पौधा लगाया है।”
यह सुनकर दादी का चेहरा खिल उठा।
चर्चा के प्रश्न:
1. आपको क्या लगता है दादी का चेहरा क्यों खिल उठा होगा?
2. क्या आपको लगता है कि सोनू और उसकी दादी का संबंध मधुर था? कैसे?
3. आपके परिवार में आपका संबंध किस किससे मधुर है?
4. आप परिवार में किनके साथ समय बिताते हैं? कैसे?
5. आप उनके साथ समय क्यों बिताते हैं?
6. आप घर में किनकी बातें सुनते और मानते हैं?
7. आप उनकी बातें क्यों मानते हैं?
चर्चा की दिशा :
संबंधो में जीना ही सुख का आधार है। इसलिए आपसी संबंधों के महत्व को जानकर उसमें जीने की ओर ध्यान ले जाना इस चर्चा का उद्देश्य है। हम अपने संबंधों को मधुर बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास करते हैं और जब भी हम अपने संबंधों के लिए कुछ करते हैं तो हमें तो अच्छा लगता ही हैं दूसरे व्यक्ति को भी अच्छा लगता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
हम आज अपने घर पर सभी से बातचीत करेंगे कि उनका जन्मदिन कब - कब आता है और वे उसे कैसे मनाना चाहते हैं।
कल हम अपनी की हुई बातचीत साझा करेंगे।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
सोनू अपने परिवार के साथ रहता था। आज सोनू का जन्मदिन था, वह बहुत उत्साहित था और घर के सामने वाले पार्क में खेलने गया। उसने देखा कि दादी वहाँ पहले से थीं और कुछ कर रही थीं।
सोनू भाग कर दादी के पास गया और देखा कि दादी तो एक छोटा सा पौधा लगा रही थीं। दादी ने सोनू को देखते ही उसे गले लगा लिया और बोलीं- “जन्मदिन की बधाई सोनू बेटा!”
सोनू भी दादी के गले लग कर बोला, “थैंक यू दादी!”
फिर सोनू ने पूछा, “दादी आप क्या कर रही हैं?”
दादी बोलीं, “आज तुम्हारा जन्मदिन है ना इसलिए मैं यह छोटा सा पौधा लगा रही हूँ। यह पौधा भी तुम्हारे साथ-साथ बड़ा होगा!”
सोनू को यह सुनकर बहुत अच्छा लगा। अब तो रोज़ वह पार्क में जाता और उस पौधे में पानी डालता।
कुछ दिनों बाद दादी का जन्मदिन आया। सोनू सुबह-सुबह दादी का हाथ पकड़कर, उन्हें पार्क में लेकर गया और बोला - “दादी देखो!”
[सोनू ने दादी को क्या दिखाया होगा?]
सोनू बोला, “दादी आज आपका जन्मदिन है ना! मैंने भी आपके लिए एक पौधा लगाया है।”
यह सुनकर दादी का चेहरा खिल उठा।
चर्चा के प्रश्न:
1. आपको क्या लगता है दादी का चेहरा क्यों खिल उठा होगा?
2. क्या आपको लगता है कि सोनू और उसकी दादी का संबंध मधुर था? कैसे?
3. आपके परिवार में आपका संबंध किस किससे मधुर है?
4. आप परिवार में किनके साथ समय बिताते हैं? कैसे?
5. आप उनके साथ समय क्यों बिताते हैं?
6. आप घर में किनकी बातें सुनते और मानते हैं?
7. आप उनकी बातें क्यों मानते हैं?
चर्चा की दिशा :
संबंधो में जीना ही सुख का आधार है। इसलिए आपसी संबंधों के महत्व को जानकर उसमें जीने की ओर ध्यान ले जाना इस चर्चा का उद्देश्य है। हम अपने संबंधों को मधुर बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास करते हैं और जब भी हम अपने संबंधों के लिए कुछ करते हैं तो हमें तो अच्छा लगता ही हैं दूसरे व्यक्ति को भी अच्छा लगता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
हम आज अपने घर पर सभी से बातचीत करेंगे कि उनका जन्मदिन कब - कब आता है और वे उसे कैसे मनाना चाहते हैं।
कल हम अपनी की हुई बातचीत साझा करेंगे।
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- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
- ऐसा क्यों?
- पिकनिक
- दादी का जन्मदिन
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