3. आलू का पराँठा

कहानी का उद्देश्य : विद्यार्थी दूसरों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील बनें और संबंधो में कृतज्ञता को समझ पाएँ।

कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
“हरमन जल्दी उठो! आज तुम्हें दादी जी से मिलने जाना है न? मैं तुम्हारे लिए आलू के पराँठे बना रही हूँ।” मम्मी ने हरमन को उठाते हुए कहा।
“वाह! आलू के पराँठे!” हरमन उछलकर अपने बिस्तर से उठा। उसे आलू के पराँठे बहुत अच्छे लगते थे।
वह पापा के साथ दादी के घर जाने के लिए तैयार हो गया। पापा और हरमन ने गाँव के लिए बस पकड़ी। बस तेज़ी से आगे भाग रही थी और खिड़की से बाहर देखने पर हरमन को ऐसा लग रहा था जैसे सारे पेड़ पीछे की ओर भाग रहे हों।
कुछ समय बाद बस चाय वाले की दुकान पर रुकी। पापा ने अपने लिए चाय मँगवाई। हरमन का मन हुआ कि जो मम्मी ने स्वादिष्ट आलू के पराँठे दिए हैं, उन्हें खा लूँ। उसने अपना डिब्बा खोला और आलू के पराँठे खाने लगा। उसने पहला कौर मुँह में डाला ही था कि उसकी नज़र पास बैठे ही एक बच्चे पर पड़ी जो पराँठे को टुकुर-टुकुर देख रहा था।
(हरमन अब क्या करेगा?)
हरमन ने सोचा “हो न हो! इसे भी भूख लगी है।” वह उस बच्चे के पास गया और उसे एक पराँठा दे दिया। बच्चे ने हरमन को थैंक यू कहा और झटपट पराँठा खा लिया।
तभी आवाज़ आई “हरमन!” हरमन को पापा बुला रहे थे क्योंकि बस चलने वाली थी। हरमन दौड़कर बस में जा बैठा और उसने बचा हुआ पराँठा खाया। पराँठा खाकर हरमन ने मन ही मन मम्मी को ‘थैंक यू’ बोला क्योंकि मम्मी के स्वादिष्ट पराँठों से आज दो लोगों का पेट भर गया था।

चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1.आपके परिवार में सब लोग एक-दूसरे की मदद कैसे करते हैं?
2. आप कौन-कौन से काम ख़ुद करते हैं?
3. किन कामों के लिए आप दूसरों पर निर्भर हैं?
4. क्यों न हम सब दो मिनट के लिए आँखे बंद करके बैठें और अपने मम्मी और पापा के बारे में सोचें। उन्हें मन में ही किसी बात के लिए थैंक यू बोलें। (2 मिनट बाद बच्चों से पूछें) आपने अपने मम्मी-पापा को किसलिए थैंक यू कहा?
5. क्या थैंक यू बोलने के अलावा भी आभार जताने का कोई और तरीक़ा हो सकता है? कौनसा?
6. क्या आप इस क्लास में से किसी को थैंक यू बोलना चाहते हैं? (शिक्षक स्वयं का उदाहरण देकर चर्चा की शुरुआत कर सकते हैं, जैसे, मैंने मनु को दूसरी क्लास से चॉक लाने के लिए थैंक यू कहा।) आप कारण बताते हुए उन्हें थैंक यू बोल सकते हैं।

चर्चा की दिशा:
किसी के प्रति सहयोगी भाव उत्पन्न होने के लिए उसके प्रति संवेदनशील होना पहली आवश्यकता है। चर्चा को इस प्रकार करवाया जाए कि विद्यार्थियों का ध्यान परिवार के सदस्यों से मिल रहे सहयोग और अपने योगदान की ओर जाए। साथ ही उनमें उनसे मिले सहयोगों के लिए कृतज्ञता का भाव पनपे। सहयोग और कृतज्ञता के भाव पूरक रूप में परिवार और समाज को जोड़ते हैं।

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर पर ध्यान देंगे कि हमारे परिवार के लोग कौन कौनसे कार्य करते हैं।

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  1. मिलजुल कर
  2. लंच ब्रेक
  3. आलू का पराँठा
  4. रोहन की जुराबें
  5. एक नई धुन
  6. मन का बोझ
  7. एक जूता
  8. दो दोस्त
  9. किसकी पेंसिल अच्छी?
  10. एक चिट्ठी दादाजी के नाम
  11. चंदू की सूझ-बूझ
  12. थोड़ी सी मस्ती
  13. फूलदान या गमला
  14. दोस्ती की दौड़
  15. मैं भी मदद करूँगा
  16. वो पैसे
  17. मेरे दोस्त की नाव
  18. बीच का पन्ना
  19. मैजिक स्ट्रॉ
  20. मोबाइल गेम
  21. हमारा प्यारा चाँद
  22. रोहित भैया का रॉकेट
  23. ऐसा क्यों?
  24. पिकनिक
  25. दादी का जन्मदिन

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