कहानी का उद्देश्य: बच्चों का ध्यान इस ओर ले जाना कि कोई भी मानव मूलतः ग़लती करना नहीं चाहता है। इसलिए अगर किसी से ग़लती हो जाए तो हमें सोच-समझ कर अनुक्रिया करनी चाहिए।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
रमन और फ़िज़ा दोस्त थे। दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे। साथ-साथ खेलते, साथ-साथ खाना खाते थे। एक दिन जैसे ही लंच ब्रेक की घंटी बजी, फ़िज़ा बोली, “मुझे बहुत भूख लगी है, चलो रमन खाना खाते हैं। तुम खाने में क्या लाए हो?”
रमन ने कहा, “मेरी मम्मी ने आज आलू-पूरी बनाई है।”
फ़िज़ा बोली, “मेरी अम्मी ने तो मीठी सेवइयाँ दी हैं!”
दोनो साथ बैठकर खाना खाने लगे। खाना खाते-खाते फ़िज़ा ने कहा, “मुझे प्यास लगी है। रमन! ज़रा पानी की बोतल तो देना!”
रमन बोतल उठाकर फ़िज़ा को पकड़ा ही रहा था कि अचानक बोतल उसके हाथ से गिर गई और पानी सेवइयों में चला गया।
रमन का चेहरा उतर गया। उसे अच्छा नहीं लगा कि फ़िज़ा की मम्मी का बनाया खाना ख़राब हो गया। फ़िज़ा अभी रमन को कुछ कहने ही वाली थी कि उसकी नज़र रमन के दुःखी चेहरे पर गई। फ़िज़ा ने मुस्कुराकर कहा, “अरे भाई! तुमने कोई जान-बूझकर ऐसा थोड़े ही किया! चल अपनी आलू-पूरी निकाल! बहुत ज़ोर की भूख लगी है।”
रमन ने अपना टिफ़िन बीच में रखा और दोनों ने मिलकर आलू-पूरी खाई।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. पानी गिरने के बाद फ़िज़ा को कैसा लगा होगा?
2. आप फ़िज़ा की जगह होते तो क्या करते?
3. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि किसी से आपकी कोई चीज़ ख़राब हो गई हो? (इस प्रश्न का उत्तर देने वाले विद्यार्थी से ये प्रश्न भी पूछें - क्या वैसा उसने जान बूझकर किया होगा? ऐसे में आपने क्या किया?)
4. क्या आपसे भी कभी किसी की कोई चीज़ ख़राब हुई है? (इस प्रश्न का उत्तर देने वाले विद्यार्थी से ये प्रश्न भी पूछें - क्या आपने वैसा जानबूझकर किया था? ऐसे में आपने क्या किया?)
चर्चा की दिशा:
यदि हम अपने परिवार या समाज में गौर करें तो पाते हैं कि कई बार छोटी-छोटी गलतियाँ या बातें बड़े विवाद या झगड़े का कारण बन जाती हैं। उनकी तह तक पहुँचने की कोशिश करें तो प्रायः यह बात सामने आती है कि ग़लती समझ या योग्यता की कमी के कारण हुई होती है, जबकि उस कार्य को जान-बूझकर किया गया मान लिया जाता है। जैसे, इस कहानी में रमन से चूक तो हुई, पर क्या वह फ़िज़ा की सेवइयाँ ख़राब करना चाहता था?
इस समझ के आते ही हमारे आपस में पनपने और बढ़ने वाले विद्वेष और खटास समाप्त होंगे। साथ ही सद्भाव के साथ एक-दूसरे की समझ और योग्यता को विकसित करने के अवसर उपलब्ध करवाने की कोशिश होगी। यह कहा जा सकता है कि यदि संबंध की पहचान एवं एहसास है तो कोई शोषण नहीं करता। यही विश्वास संबंधों में सुखपूर्वक जीने की योग्यता देता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर पर ध्यान देंगे कि जब भी हमसे कोई ग़लती हुई, तो क्या वैसा जानबूझकर किया गया। किसी और से यदि कोई ग़लती हुई, तो उनसे बात कीजिए कि क्या वो वैसा करना चाहते थे। कल हम अपनी बातें साझा करेंगे।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
रमन और फ़िज़ा दोस्त थे। दोनों एक ही क्लास में पढ़ते थे। साथ-साथ खेलते, साथ-साथ खाना खाते थे। एक दिन जैसे ही लंच ब्रेक की घंटी बजी, फ़िज़ा बोली, “मुझे बहुत भूख लगी है, चलो रमन खाना खाते हैं। तुम खाने में क्या लाए हो?”
रमन ने कहा, “मेरी मम्मी ने आज आलू-पूरी बनाई है।”
फ़िज़ा बोली, “मेरी अम्मी ने तो मीठी सेवइयाँ दी हैं!”
दोनो साथ बैठकर खाना खाने लगे। खाना खाते-खाते फ़िज़ा ने कहा, “मुझे प्यास लगी है। रमन! ज़रा पानी की बोतल तो देना!”
रमन बोतल उठाकर फ़िज़ा को पकड़ा ही रहा था कि अचानक बोतल उसके हाथ से गिर गई और पानी सेवइयों में चला गया।
रमन का चेहरा उतर गया। उसे अच्छा नहीं लगा कि फ़िज़ा की मम्मी का बनाया खाना ख़राब हो गया। फ़िज़ा अभी रमन को कुछ कहने ही वाली थी कि उसकी नज़र रमन के दुःखी चेहरे पर गई। फ़िज़ा ने मुस्कुराकर कहा, “अरे भाई! तुमने कोई जान-बूझकर ऐसा थोड़े ही किया! चल अपनी आलू-पूरी निकाल! बहुत ज़ोर की भूख लगी है।”
रमन ने अपना टिफ़िन बीच में रखा और दोनों ने मिलकर आलू-पूरी खाई।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. पानी गिरने के बाद फ़िज़ा को कैसा लगा होगा?
2. आप फ़िज़ा की जगह होते तो क्या करते?
3. क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है कि किसी से आपकी कोई चीज़ ख़राब हो गई हो? (इस प्रश्न का उत्तर देने वाले विद्यार्थी से ये प्रश्न भी पूछें - क्या वैसा उसने जान बूझकर किया होगा? ऐसे में आपने क्या किया?)
4. क्या आपसे भी कभी किसी की कोई चीज़ ख़राब हुई है? (इस प्रश्न का उत्तर देने वाले विद्यार्थी से ये प्रश्न भी पूछें - क्या आपने वैसा जानबूझकर किया था? ऐसे में आपने क्या किया?)
चर्चा की दिशा:
यदि हम अपने परिवार या समाज में गौर करें तो पाते हैं कि कई बार छोटी-छोटी गलतियाँ या बातें बड़े विवाद या झगड़े का कारण बन जाती हैं। उनकी तह तक पहुँचने की कोशिश करें तो प्रायः यह बात सामने आती है कि ग़लती समझ या योग्यता की कमी के कारण हुई होती है, जबकि उस कार्य को जान-बूझकर किया गया मान लिया जाता है। जैसे, इस कहानी में रमन से चूक तो हुई, पर क्या वह फ़िज़ा की सेवइयाँ ख़राब करना चाहता था?
इस समझ के आते ही हमारे आपस में पनपने और बढ़ने वाले विद्वेष और खटास समाप्त होंगे। साथ ही सद्भाव के साथ एक-दूसरे की समझ और योग्यता को विकसित करने के अवसर उपलब्ध करवाने की कोशिश होगी। यह कहा जा सकता है कि यदि संबंध की पहचान एवं एहसास है तो कोई शोषण नहीं करता। यही विश्वास संबंधों में सुखपूर्वक जीने की योग्यता देता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर पर ध्यान देंगे कि जब भी हमसे कोई ग़लती हुई, तो क्या वैसा जानबूझकर किया गया। किसी और से यदि कोई ग़लती हुई, तो उनसे बात कीजिए कि क्या वो वैसा करना चाहते थे। कल हम अपनी बातें साझा करेंगे।
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- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
- ऐसा क्यों?
- पिकनिक
- दादी का जन्मदिन
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