कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थी को संवेदनशील होने के साथ-साथ समझदारी से निर्णय लेने के लिए प्रेरित करना।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
रवि अपने पापा के साथ अपने गाँव जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर आया थाI तभी रवि ने देखा कि एक बच्चा स्टेशन पर नंगे पैर बैठा है। धीरे-धीरे रवि अपने पापा का हाथ पकड़ कर अपने डिब्बे की ओर जा रहा था I डिब्बे में चढ़ते हुए रवि का एक जूता निकल कर गिर गया I डिब्बे मे बहुत भीड़ थी I तभी ट्रेन धीरे-धीरे चलने लगी I रवि ने खिड़की से देखा कि वो बच्चा उसके गिरे हुए जूते को बड़े ध्यान से देख रहा था I उस बच्चे ने जूता उठाया और ट्रेन के साथ साथ दौड़ने लगा I
(वह बच्चा एक पैर का जूता लेकर क्यों दौड़ने लगा?)
तभी रवि ने अपना दूसरा जूता खिड़की से उस बच्चे की ओर फेंक दिया I उस बच्चे ने दूसरा जूता भी उठाया और उन जूतों को लौटाने के लिए ट्रेन के साथ दौड़ता रहा I तभी रवि ने मुस्कुराते हुए अपना हाथ हिलायाI अचानक वह बच्चा रुक गया और हैरानी से रवि को देखने लगा। धीरे-धीरे वह भी मुस्कुराने लगा और रवि की तरफ हाथ हिलाने लगा।
रवि ने अपने बैग से चप्पलें निकालीं और पहन लीं। अपने जूते खोकर भी आज वह बहुत ख़ुश था।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. बच्चे को नंगे पैर देख कर रवि के मन में क्या ख़याल आया होगा?
2. क्या रवि का पहला जूता ग़लती से निकलकर गिर गया था? (या उसने जान बूझकर गिराया था?)
3. रवि ने अपना दूसरा जूता क्यों फेंका?
4. यदि रवि के पास पहनने के लिए चप्पलें न होती, क्या वह तब भी अपने जूते उस बच्चे को देता? आप क्या सोचते हैं?
5. यदि आप रवि के स्थान पर होते, तो क्या करते? क्यों?
6. क्या आपने भी किसी जरूरतमंद के लिए कभी कुछ किया है? कब और कैसे?
चर्चा की दिशा:
किसी की ज़रूरतों के प्रति संवेदनशील होना अपने आप में अच्छा है। पर भावनाओं में बहकर निर्णय लेने की जगह स्वयं और सामने वाले की स्थिति की समझ के साथ निर्णय लेने की ओर विद्यार्थियों का ध्यान चला जाए, ऐसा इस चर्चा का आशय है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम अपने घर जाकर यह ध्यान देंगे कि जब भी हम लोग खाना खाते हैं तो सामान्यतः सबसे अंत में कौन खाता है? उसका कारण भी पता करेंगे।
( जिस प्रकार रवि का ध्यान जरूरतमंद बच्चे की तरफ गया उसी प्रकार कक्षा के बच्चों का ध्यान अपने घर के सदस्यों की ज़रूरतों पर दिला सकते हैं।)
---------------------------------------
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
रवि अपने पापा के साथ अपने गाँव जाने के लिए रेलवे स्टेशन पर आया थाI तभी रवि ने देखा कि एक बच्चा स्टेशन पर नंगे पैर बैठा है। धीरे-धीरे रवि अपने पापा का हाथ पकड़ कर अपने डिब्बे की ओर जा रहा था I डिब्बे में चढ़ते हुए रवि का एक जूता निकल कर गिर गया I डिब्बे मे बहुत भीड़ थी I तभी ट्रेन धीरे-धीरे चलने लगी I रवि ने खिड़की से देखा कि वो बच्चा उसके गिरे हुए जूते को बड़े ध्यान से देख रहा था I उस बच्चे ने जूता उठाया और ट्रेन के साथ साथ दौड़ने लगा I
(वह बच्चा एक पैर का जूता लेकर क्यों दौड़ने लगा?)
तभी रवि ने अपना दूसरा जूता खिड़की से उस बच्चे की ओर फेंक दिया I उस बच्चे ने दूसरा जूता भी उठाया और उन जूतों को लौटाने के लिए ट्रेन के साथ दौड़ता रहा I तभी रवि ने मुस्कुराते हुए अपना हाथ हिलायाI अचानक वह बच्चा रुक गया और हैरानी से रवि को देखने लगा। धीरे-धीरे वह भी मुस्कुराने लगा और रवि की तरफ हाथ हिलाने लगा।
रवि ने अपने बैग से चप्पलें निकालीं और पहन लीं। अपने जूते खोकर भी आज वह बहुत ख़ुश था।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. बच्चे को नंगे पैर देख कर रवि के मन में क्या ख़याल आया होगा?
2. क्या रवि का पहला जूता ग़लती से निकलकर गिर गया था? (या उसने जान बूझकर गिराया था?)
3. रवि ने अपना दूसरा जूता क्यों फेंका?
4. यदि रवि के पास पहनने के लिए चप्पलें न होती, क्या वह तब भी अपने जूते उस बच्चे को देता? आप क्या सोचते हैं?
5. यदि आप रवि के स्थान पर होते, तो क्या करते? क्यों?
6. क्या आपने भी किसी जरूरतमंद के लिए कभी कुछ किया है? कब और कैसे?
चर्चा की दिशा:
किसी की ज़रूरतों के प्रति संवेदनशील होना अपने आप में अच्छा है। पर भावनाओं में बहकर निर्णय लेने की जगह स्वयं और सामने वाले की स्थिति की समझ के साथ निर्णय लेने की ओर विद्यार्थियों का ध्यान चला जाए, ऐसा इस चर्चा का आशय है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम अपने घर जाकर यह ध्यान देंगे कि जब भी हम लोग खाना खाते हैं तो सामान्यतः सबसे अंत में कौन खाता है? उसका कारण भी पता करेंगे।
( जिस प्रकार रवि का ध्यान जरूरतमंद बच्चे की तरफ गया उसी प्रकार कक्षा के बच्चों का ध्यान अपने घर के सदस्यों की ज़रूरतों पर दिला सकते हैं।)
---------------------------------------
- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
- ऐसा क्यों?
- पिकनिक
- दादी का जन्मदिन
No comments:
Post a Comment