कहानी का उद्देश्य: मौज-मस्ती से बड़ी ख़ुशी अपनों के काम आने में है।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
गीता ने अपने भाई आशीष को जगाया। दोनों फटाफट नहा-धोकर तैयार हुए। आज उन्हें पिकनिक पर जाना है। दोनों अपना नाश्ता कर ही रहे थे कि मम्मी को सविता आंटी से फ़ोन पर बात करते सुना कि वे आज देर से आएँगी।
मम्मी को डॉक्टर के पास भी जाना था क्योंकि वह बीमार थीं। गीता ने कहा कि मम्मी डॉक्टर के पास चली जाएँ। अभी स्कूल की पिकनिक के लिए बस आने में देर है। तब तक सविता आंटी आ ही जाएँगी। मम्मी के जाने के बाद फ़ोन आया कि आंटी किसी कारण से नहीं आ पाएँगी। तब तक पिकनिक वाली बस का टाइम हो गया था। अब दोनों भाई बहन क्या करें? बर्तन और घर अब कौन साफ़ करेगा?
दोनों ने तय किया वे पिकनिक नहीं जाएँगे। दोनों साफ़-सफ़ाई में लग गए। जब मम्मी लौटी तो सबकुछ साफ़-सुथरा देख ख़ुश हुईं, पर जैसे ही दोनों पर नज़र गई तो उन्होंने पूछा, “पिकनिक नहीं गए?”
गीता ने सविता आंटी के न आ पाने की बात बताई। तभी मम्मी की नज़र उनके गंदे हो चुके यूनिफार्म पर गई तो उन्होंने चिंता जताते हुए कहा, “मैं लौटकर सफ़ाई कर लेती। देखिए, आपके कपड़े कितने गंदे हो गए हैं!”
तभी मासूमियत से आशीष ने कहा, “मम्मी! ये कपड़े भी हम धो लेंगे, आप आराम कीजिए। आप बीमार हैं न!”
यह सुनते ही मम्मी ने दोनों को इशारे से पास बुलाया और कंधे पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए कहा, “मेरा इतना खयाल रखते हैं मेरे बच्चे! अपनी पिकनिक भी छोड़ दी!”
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. क्या गीता और आशीष को पिकनिक न जा पाने का दुःख हुआ होगा? क्यों या क्यों नहीं?
2. क्या आपने भी कभी मम्मी या पापा की मदद की है? कैसे?
3. क्या कभी ऐसा हुआ है जब आपने अपना कोई पसंद का काम छोड़कर किसी और के काम में साथ दिया हो? उस दिन क्या हुआ था?
चर्चा की दिशा:
हमारे सामने कई बार ऐसी स्थिति आती है, जब कोई परेशानी में होता है और हम कोई विशेष उपयोगी कार्य नहीं कर रहे होते हैं या केवल स्वयं के मनोरंजन में लगे होते हैं। इस चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर चला जाए कि क्या मनोरंजन से बड़ी ख़ुशी किसी अपने के काम आने में है। साथ जीने या एक परिवार के सदस्य के रूप में स्वयं के इच्छाओं में प्राथमिकता तय कर सके। इतने छोटे बच्चों के साथ ज़्यादा गहरी बात करवाना इसका आशय नहीं है। बस इतना हो जाए कि विद्यार्थियों का ध्यान अपने कार्य एवं व्यवहार की ओर जाने लगे। हम जिन्हें प्यार करते हैं, उनका खयाल रखना भी हमारा दायित्व है, यह समझ विकसित हो।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम ध्यान देंगे कि हमने घर पर कौन-कौन से काम मिलजुलकर किए। उन कामों को करते वक़्त हमें कैसा लगा? उससे क्या किसी का काम आसान हुआ?
---------------------------------------
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
गीता ने अपने भाई आशीष को जगाया। दोनों फटाफट नहा-धोकर तैयार हुए। आज उन्हें पिकनिक पर जाना है। दोनों अपना नाश्ता कर ही रहे थे कि मम्मी को सविता आंटी से फ़ोन पर बात करते सुना कि वे आज देर से आएँगी।
मम्मी को डॉक्टर के पास भी जाना था क्योंकि वह बीमार थीं। गीता ने कहा कि मम्मी डॉक्टर के पास चली जाएँ। अभी स्कूल की पिकनिक के लिए बस आने में देर है। तब तक सविता आंटी आ ही जाएँगी। मम्मी के जाने के बाद फ़ोन आया कि आंटी किसी कारण से नहीं आ पाएँगी। तब तक पिकनिक वाली बस का टाइम हो गया था। अब दोनों भाई बहन क्या करें? बर्तन और घर अब कौन साफ़ करेगा?
दोनों ने तय किया वे पिकनिक नहीं जाएँगे। दोनों साफ़-सफ़ाई में लग गए। जब मम्मी लौटी तो सबकुछ साफ़-सुथरा देख ख़ुश हुईं, पर जैसे ही दोनों पर नज़र गई तो उन्होंने पूछा, “पिकनिक नहीं गए?”
गीता ने सविता आंटी के न आ पाने की बात बताई। तभी मम्मी की नज़र उनके गंदे हो चुके यूनिफार्म पर गई तो उन्होंने चिंता जताते हुए कहा, “मैं लौटकर सफ़ाई कर लेती। देखिए, आपके कपड़े कितने गंदे हो गए हैं!”
तभी मासूमियत से आशीष ने कहा, “मम्मी! ये कपड़े भी हम धो लेंगे, आप आराम कीजिए। आप बीमार हैं न!”
यह सुनते ही मम्मी ने दोनों को इशारे से पास बुलाया और कंधे पर हाथ रखकर मुस्कुराते हुए कहा, “मेरा इतना खयाल रखते हैं मेरे बच्चे! अपनी पिकनिक भी छोड़ दी!”
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. क्या गीता और आशीष को पिकनिक न जा पाने का दुःख हुआ होगा? क्यों या क्यों नहीं?
2. क्या आपने भी कभी मम्मी या पापा की मदद की है? कैसे?
3. क्या कभी ऐसा हुआ है जब आपने अपना कोई पसंद का काम छोड़कर किसी और के काम में साथ दिया हो? उस दिन क्या हुआ था?
चर्चा की दिशा:
हमारे सामने कई बार ऐसी स्थिति आती है, जब कोई परेशानी में होता है और हम कोई विशेष उपयोगी कार्य नहीं कर रहे होते हैं या केवल स्वयं के मनोरंजन में लगे होते हैं। इस चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर चला जाए कि क्या मनोरंजन से बड़ी ख़ुशी किसी अपने के काम आने में है। साथ जीने या एक परिवार के सदस्य के रूप में स्वयं के इच्छाओं में प्राथमिकता तय कर सके। इतने छोटे बच्चों के साथ ज़्यादा गहरी बात करवाना इसका आशय नहीं है। बस इतना हो जाए कि विद्यार्थियों का ध्यान अपने कार्य एवं व्यवहार की ओर जाने लगे। हम जिन्हें प्यार करते हैं, उनका खयाल रखना भी हमारा दायित्व है, यह समझ विकसित हो।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम ध्यान देंगे कि हमने घर पर कौन-कौन से काम मिलजुलकर किए। उन कामों को करते वक़्त हमें कैसा लगा? उससे क्या किसी का काम आसान हुआ?
---------------------------------------
- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
- ऐसा क्यों?
- पिकनिक
- दादी का जन्मदिन
No comments:
Post a Comment