कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थी किसी घटना के पीछे के कारणों को पहचान कर और स्वयं को जानकर विश्वास के साथ जी सकें।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
स्कूल में गणतंत्र दिवस मनाया जाने वाला था। निशा, करण तथा उनके दोस्त सभी एक ग्रुप डांस की प्रैक्टिस कर रहे थे। प्रैक्टिस के बाद सभी एक साथ खाना खाने के लिए बैठे, लेकिन निशा कुछ उदास होकर वहाँ से चली गई और पास के ही एक पेड़ के नीचे बैठ गई।
करण निशा का अच्छा दोस्त था। वह निशा के पास गया और उसने निशा से पूछा, ”तुम इतनी उदास क्यों हो?” निशा बोली, “मैंने इस डांस के लिए इतनी मेहनत की है फिर भी मैडम ने मुझे लास्ट लाइन में ही जगह दी। क्या मैं अच्छा डांस नहीं करती?”
“ऐसा नहीं है। डांस तो तुम बहुत अच्छा करती हो!” करण इतना कहकर कुछ सोचने लगा। फिर उसने कहा, “चलो, आज हम मैडम से बात करेंगे। पर एक बात तो बताओ, आज मॉर्निंग असेंबली में तुम कहाँ खड़ी थी? सुबह से दिखी नहीं!” निशा ने कहा, “कहाँ? अपनी लाइन में ही तो खड़ी थी। सबसे पीछे…”
“लाइन में सबसे पीछे! क्यों?”, करण ने पूछा।
“अरे… मैं अपनी क्लास में सबसे लंबी हूँ न!” निशा ने कहा। इतना बोलते ही निशा को खुद ही समझ आ गया कि उसे डांस ग्रुप में सबसे पीछे क्यों खड़ा किया गया था। उसने करण को रोकते हुए कहा, “मुझे मैडम से डांस के बारे में बात करने की कोई ज़रूरत नहीं लगती क्योंकि मुझे समझ आ गया है कि मैं डांस में पीछे क्यों खड़ी हूं ।”
चर्चा के प्रश्न:
1. निशा को उसकी टीचर ने डांस ग्रुप में सबसे पीछे क्यों खड़ा किया होगा?
2. आप कौन कौनसे कार्य अच्छे से (विश्वास के साथ)) कर पाते हैं?
3. क्या आपके किसी कार्य की कभी प्रशंसा की गई? वह प्रशंसा किसने की थी?
4. जब आपको कोई बात बुरी लगती है तो आप किससे साझा करते हैं?
चर्चा की दिशा :
हम अपनी सही-सही क्षमता को पहचान कर उसे और निखारने के लिए प्रयास करते रहें न कि अपने-आप को किसी से कम या ज़्यादा समझे। इससे सही क्षमता पहचानकर निखरने का प्रयास करने से हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ता है और हम जो भी काम करते हैं उसे हम और अच्छी तरह कर पाते हैं।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
हम आज घर पर बात करेंगे कि क्या मम्मी-पापा को भी कभी लगा कि किसी ने उन्हें कोई काम करने का ठीक से मौक़ा नहीं दिया। ऐसे में उन्होंने क्या किया था?
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
स्कूल में गणतंत्र दिवस मनाया जाने वाला था। निशा, करण तथा उनके दोस्त सभी एक ग्रुप डांस की प्रैक्टिस कर रहे थे। प्रैक्टिस के बाद सभी एक साथ खाना खाने के लिए बैठे, लेकिन निशा कुछ उदास होकर वहाँ से चली गई और पास के ही एक पेड़ के नीचे बैठ गई।
करण निशा का अच्छा दोस्त था। वह निशा के पास गया और उसने निशा से पूछा, ”तुम इतनी उदास क्यों हो?” निशा बोली, “मैंने इस डांस के लिए इतनी मेहनत की है फिर भी मैडम ने मुझे लास्ट लाइन में ही जगह दी। क्या मैं अच्छा डांस नहीं करती?”
“ऐसा नहीं है। डांस तो तुम बहुत अच्छा करती हो!” करण इतना कहकर कुछ सोचने लगा। फिर उसने कहा, “चलो, आज हम मैडम से बात करेंगे। पर एक बात तो बताओ, आज मॉर्निंग असेंबली में तुम कहाँ खड़ी थी? सुबह से दिखी नहीं!” निशा ने कहा, “कहाँ? अपनी लाइन में ही तो खड़ी थी। सबसे पीछे…”
“लाइन में सबसे पीछे! क्यों?”, करण ने पूछा।
“अरे… मैं अपनी क्लास में सबसे लंबी हूँ न!” निशा ने कहा। इतना बोलते ही निशा को खुद ही समझ आ गया कि उसे डांस ग्रुप में सबसे पीछे क्यों खड़ा किया गया था। उसने करण को रोकते हुए कहा, “मुझे मैडम से डांस के बारे में बात करने की कोई ज़रूरत नहीं लगती क्योंकि मुझे समझ आ गया है कि मैं डांस में पीछे क्यों खड़ी हूं ।”
चर्चा के प्रश्न:
1. निशा को उसकी टीचर ने डांस ग्रुप में सबसे पीछे क्यों खड़ा किया होगा?
2. आप कौन कौनसे कार्य अच्छे से (विश्वास के साथ)) कर पाते हैं?
3. क्या आपके किसी कार्य की कभी प्रशंसा की गई? वह प्रशंसा किसने की थी?
4. जब आपको कोई बात बुरी लगती है तो आप किससे साझा करते हैं?
चर्चा की दिशा :
हम अपनी सही-सही क्षमता को पहचान कर उसे और निखारने के लिए प्रयास करते रहें न कि अपने-आप को किसी से कम या ज़्यादा समझे। इससे सही क्षमता पहचानकर निखरने का प्रयास करने से हमारा आत्मविश्वास भी बढ़ता है और हम जो भी काम करते हैं उसे हम और अच्छी तरह कर पाते हैं।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
हम आज घर पर बात करेंगे कि क्या मम्मी-पापा को भी कभी लगा कि किसी ने उन्हें कोई काम करने का ठीक से मौक़ा नहीं दिया। ऐसे में उन्होंने क्या किया था?
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- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
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- पिकनिक
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