कहानी का उद्देश्य: एक-दूसरे के साथ तालमेल स्थापित करके जीने में सुख है, इस ओर ध्यान ले जाना।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
दिशा, प्राची और रवि तीनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे। तीनों को गाना-बजाना बहुत अच्छा लगता था, लेकिन वे अलग-अलग जगहों पर बैठकर अपने गाने-बजाने का प्रयास करते और नई-नई धुन बनाने की कोशिश करते। रिसेस टाइम में क्लास के एक कोने में किसी गाने के धुन पर प्राची डेस्क बजा रही होती; तो दूसरे कोने में दिशा अपनी मस्ती में कोई दूसरा गाना गा रही होती। वहीं तीसरी ओर रवि अपना एक छोटा पियानो निकालकर कोई अलग ही धुन बजा रहा होता। तीनों को घेरे हुए उनके तीन-चार दोस्त होते। तीनों चाह रहे थे कि वार्षिक उत्सव में सिर्फ़ उसे ही चुना जाए। पर अन्य बच्चों के लिए तीन तरफ़ से आ रही ये आवाज़ें शोर से कम न थीं। सब बहुत परेशान थे।
सभी बच्चों ने कुछ विचार किया और वे मैडम से जाकर मिले। उनसे चर्चा कर इस समस्या का समाधान ढूँढा।
(उन्होंने क्या विचार किया होगा?)
मैडम ने तीनों को वार्षिक उत्सव में एक ही प्रोग्राम में रखा। तीनों मिलकर तैयारी करने लगे। प्राची ने तबले पर थाप देनी शुरू की, तभी रवि की उंगलियाँ पियानो पर चलने लगीं और उनके साथ दिशा की सुरीली आवाज़ ने पूरा माहौल संगीतमय कर दिया।
अब क्लास में तीन तरफ़ से तीन तरह की आवाज़ें आनी बंद हो गईं। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती गहरी होने लगी। बच्चों को तो अब बस इंतज़ार था अपनी क्लास के प्रोग्राम का स्टेज पर आने का।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. उन बच्चों में से किसी एक का चुना जाना ठीक होता या मिलकर प्रोग्राम करना ठीक हुआ? क्यों?
2. हम कौनसे काम अकेले कर सकते हैं?
3. आपकी नज़र में कौन-कौन से काम मिलकर किए जा सकते हैं?
4. अगर किसी काम को मिल-जुलकर किया जाए तो कैसा लगता है?
5. क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि साथ मिलकर काम करते-करते आपस में दोस्ती हो गई?
चर्चा की दिशा:
इस चर्चा द्वारा विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि स्वयं से ऊपर उठकर, और आपस में मिलकर अनेक काम बेहतर किए जा सकते हैं। विद्यार्थी आपस में प्रतियोगी बनने की बजाय सहयोगी बनने के उपाय ढूँढने लग जाएँ, तो यह उन्हें सामाजिक समरसता की ओर ले जाएगा।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर पर लोगों से बात करेंगे कि क्या कभी मिलकर काम करने के दौरान उनकी भी किसी से दोस्ती हुई? कब और कैसे?
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
दिशा, प्राची और रवि तीनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे। तीनों को गाना-बजाना बहुत अच्छा लगता था, लेकिन वे अलग-अलग जगहों पर बैठकर अपने गाने-बजाने का प्रयास करते और नई-नई धुन बनाने की कोशिश करते। रिसेस टाइम में क्लास के एक कोने में किसी गाने के धुन पर प्राची डेस्क बजा रही होती; तो दूसरे कोने में दिशा अपनी मस्ती में कोई दूसरा गाना गा रही होती। वहीं तीसरी ओर रवि अपना एक छोटा पियानो निकालकर कोई अलग ही धुन बजा रहा होता। तीनों को घेरे हुए उनके तीन-चार दोस्त होते। तीनों चाह रहे थे कि वार्षिक उत्सव में सिर्फ़ उसे ही चुना जाए। पर अन्य बच्चों के लिए तीन तरफ़ से आ रही ये आवाज़ें शोर से कम न थीं। सब बहुत परेशान थे।
सभी बच्चों ने कुछ विचार किया और वे मैडम से जाकर मिले। उनसे चर्चा कर इस समस्या का समाधान ढूँढा।
(उन्होंने क्या विचार किया होगा?)
मैडम ने तीनों को वार्षिक उत्सव में एक ही प्रोग्राम में रखा। तीनों मिलकर तैयारी करने लगे। प्राची ने तबले पर थाप देनी शुरू की, तभी रवि की उंगलियाँ पियानो पर चलने लगीं और उनके साथ दिशा की सुरीली आवाज़ ने पूरा माहौल संगीतमय कर दिया।
अब क्लास में तीन तरफ़ से तीन तरह की आवाज़ें आनी बंद हो गईं। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती गहरी होने लगी। बच्चों को तो अब बस इंतज़ार था अपनी क्लास के प्रोग्राम का स्टेज पर आने का।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. उन बच्चों में से किसी एक का चुना जाना ठीक होता या मिलकर प्रोग्राम करना ठीक हुआ? क्यों?
2. हम कौनसे काम अकेले कर सकते हैं?
3. आपकी नज़र में कौन-कौन से काम मिलकर किए जा सकते हैं?
4. अगर किसी काम को मिल-जुलकर किया जाए तो कैसा लगता है?
5. क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि साथ मिलकर काम करते-करते आपस में दोस्ती हो गई?
चर्चा की दिशा:
इस चर्चा द्वारा विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि स्वयं से ऊपर उठकर, और आपस में मिलकर अनेक काम बेहतर किए जा सकते हैं। विद्यार्थी आपस में प्रतियोगी बनने की बजाय सहयोगी बनने के उपाय ढूँढने लग जाएँ, तो यह उन्हें सामाजिक समरसता की ओर ले जाएगा।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम घर पर लोगों से बात करेंगे कि क्या कभी मिलकर काम करने के दौरान उनकी भी किसी से दोस्ती हुई? कब और कैसे?
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- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
- ऐसा क्यों?
- पिकनिक
- दादी का जन्मदिन
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