कहानी का उद्देश्य: संबंधों में एक-दूसरे पर विश्वास रखना और अपनी मन की बात अपने परिवार वालों के साथ साझा करना।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
एक दिन सौम्य की मम्मी के सिर में चोट लग गई। उस समय उसके पापा घर पर नहीं थे। सौम्य अपने पड़ोसी आंटी के यहाँ गया और उनसे मदद माँगी। उन्होंने आकर दवाई लगाई और पट्टी कर दी।
कुछ दिन यूँ ही बीत गए। एक दिन सौम्य ने पापा से कहा, "पापा! आप जानते हैं, उस दिन मम्मी के सिर पर चोट कैसे लगी थी?"
"हाँ! आपकी मम्मी ने बताया तो था कि वह फिसल कर गिर गई थीं!", पापा के ऐसा कहने पर सौम्य ने कहा, "नहीं पापा! वो मैं घर में ही लकड़ी वाला बैट घुमा रहा था, उसी से उन्हें चोट लग गई थी। सॉरी पापा!"
यह बात बताने के बाद सौम्य के चेहरे पर ऐसा भाव था जैसे उसने अपना कोई बोझ उतार लिया हो।
अब पापा का ध्यान गया कि उस घटना के बाद से ही सौम्य ने घर के अंदर बैट से खेलना बंद कर रखा है।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. मम्मी ने अपने सिर में चोट का सही कारण पापा को नहीं बताया। ऐसा उन्होंने क्यों किया होगा?
2. सौम्य के मन का बोझ क्यों हल्का हो गया?
3. क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है जब आपसे कोई ग़लती हुई हो और आपने उसे माना हो?
4. आपसे ग़लती होने पर उसे मान लेने के बाद आपको कैसा लगा?
5. आप अपने मन की बातें किस किससे करते हैं? साझा करें।
चर्चा की दिशा:
कई परिवारों की एक सामान्य समस्या है कि बच्चे अपने मम्मी-पापा या घर के बड़ों से अपने साथ घटी घटना या मन की बात साझा नहीं कर पाते हैं। ऐसा, किसी डर की वजह से या विश्वास की कमी से या फिर एक-दूसरे को वक़्त न दे पाने के कारण हो रहा हो सकता है। घर पर बातचीत का सहज वातावरण बने, यह आवश्यक है। साथ ही विद्यार्थी ख़ुद से हुई ग़लती को स्वीकार कर घर में आपसी विश्वास का वातावरण निर्माण करने में सहयोगी बने, इस दिशा में चर्चा को ले जाया जाए।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर जाकर आप अपने मम्मी-पापा से कोई ऐसी बात साझा करें जो आपने उन्हें पहले कभी न बताई हो।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
एक दिन सौम्य की मम्मी के सिर में चोट लग गई। उस समय उसके पापा घर पर नहीं थे। सौम्य अपने पड़ोसी आंटी के यहाँ गया और उनसे मदद माँगी। उन्होंने आकर दवाई लगाई और पट्टी कर दी।
कुछ दिन यूँ ही बीत गए। एक दिन सौम्य ने पापा से कहा, "पापा! आप जानते हैं, उस दिन मम्मी के सिर पर चोट कैसे लगी थी?"
"हाँ! आपकी मम्मी ने बताया तो था कि वह फिसल कर गिर गई थीं!", पापा के ऐसा कहने पर सौम्य ने कहा, "नहीं पापा! वो मैं घर में ही लकड़ी वाला बैट घुमा रहा था, उसी से उन्हें चोट लग गई थी। सॉरी पापा!"
यह बात बताने के बाद सौम्य के चेहरे पर ऐसा भाव था जैसे उसने अपना कोई बोझ उतार लिया हो।
अब पापा का ध्यान गया कि उस घटना के बाद से ही सौम्य ने घर के अंदर बैट से खेलना बंद कर रखा है।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. मम्मी ने अपने सिर में चोट का सही कारण पापा को नहीं बताया। ऐसा उन्होंने क्यों किया होगा?
2. सौम्य के मन का बोझ क्यों हल्का हो गया?
3. क्या आपके साथ भी कभी ऐसा हुआ है जब आपसे कोई ग़लती हुई हो और आपने उसे माना हो?
4. आपसे ग़लती होने पर उसे मान लेने के बाद आपको कैसा लगा?
5. आप अपने मन की बातें किस किससे करते हैं? साझा करें।
चर्चा की दिशा:
कई परिवारों की एक सामान्य समस्या है कि बच्चे अपने मम्मी-पापा या घर के बड़ों से अपने साथ घटी घटना या मन की बात साझा नहीं कर पाते हैं। ऐसा, किसी डर की वजह से या विश्वास की कमी से या फिर एक-दूसरे को वक़्त न दे पाने के कारण हो रहा हो सकता है। घर पर बातचीत का सहज वातावरण बने, यह आवश्यक है। साथ ही विद्यार्थी ख़ुद से हुई ग़लती को स्वीकार कर घर में आपसी विश्वास का वातावरण निर्माण करने में सहयोगी बने, इस दिशा में चर्चा को ले जाया जाए।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज घर जाकर आप अपने मम्मी-पापा से कोई ऐसी बात साझा करें जो आपने उन्हें पहले कभी न बताई हो।
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- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
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- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
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