कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान इस ओर जाए कि वस्तु की सुंदरता से अधिक महत्वपूर्ण उसकी उपयोगिता है।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
सोमवार को जैसे ही बच्चे क्लास में पहुँचे, सभी ने एक-दूसरे से जानना चाहा कि उनकी रविवार की छुट्टी कैसी बीती।
मोहिनी ने कहा, “कल मैं अपने मम्मी-पापा के साथ बाज़ार गई थी और वहाँ से एक सुंदर और अनोखी चीज़ लाई हूँ।”
मोहिनी ने जैसे ही अपना बस्ता खोला, उसके दोस्तों ने उसे घेर लिया। सभी सोचने लगे आज वह क्या नया लेकर आई है?
मोहिनी ने अपने बस्ते से निकाली ...एक नई पेंसिल।
श्रेया के मुँह से निकला, “अरे देखो ! कितनी सुन्दर पेंसिल है!”
रज़ा ने कहा – और कितनी लंबी भी है!
कुलदीप बोल पड़ा – यह तो मुड़ती भी है!
अब तक कक्षा में टीचर आ चुकी थीं। उन्होंने बच्चों को सुलेख लिखने को दिया। बच्चों ने फटाफट काम पूरा किया और मैडम को दिखाने के लिए लाईन लगा ली। सबका काम देखने के बाद टीचर ने बताया कि श्रेया और कुलदीप की लिखाई बहुत सुन्दर है। यह सुनकर मोहिनी, श्रेया की कॉपी देखने गई। सचमुच में उसकी लिखाई सुन्दर थी। फिर उसने उसकी पेंसिल उठाई। वह तो एक साधारण सी पेंसिल थी।
मोहिनी के मन में विचार आया कि उसकी अपनी पेंसिल है तो सुन्दर, पर सुन्दर लिखने के लिए कोशिश तो उसे ख़ुद ही करनी होगी!
वहीं श्रेया सोच रही थी कि उसे एक सुन्दर पेंसिल की ज़रूरत है या उसकी साधारण सी पेंसिल ही अच्छी है!
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
● क्या आपको भी मोहिनी जैसी पेंसिल चाहिए? क्यों या क्यों नहीं?
● आपको क्या लगता है - पेंसिल कैसी होनी चाहिए? (जो दिखने में सुंदर हो या जिससे लिखाई अच्छी आए?)
● हम अपनी लिखाई कैसे सुधार सकते हैं? क्या इसमें सुंदर दिखने वाली पेंसिल मददगार होगी?
● दुकान से जब आप कोई चीज़ ख़रीदते हैं तो सुंदर है इसलिए ख़रीदते हैं या आपके काम आएगी इसलिए?
चर्चा की दिशा:
हर अच्छी लगने वाली वस्तु अच्छी भी हो, यह ज़रूरी नहीं। साथ ही यदि हमारी चाहत किसी वस्तु के केवल अच्छा लगने या दिखने के कारण है, परंतु हमने उसकी उपयोगिता और अपनी आवश्यकता पर विचार नहीं किया है, तो यह अनावश्यक के संग्रह का दबाव बनाता है। इससे वर्तमान मेंस्वयं के पास आवश्यक वस्तु उपलब्ध होने के बावजूद उस पल की ख़ुशी को हम खो देते हैं। इस कहानी पर आधारित चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों को इस निष्कर्ष तक पहुँचने में मदद की जाए कि वस्तु की सुंदरता से अधिक महत्वपूर्ण उसकी उपयोगिता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम इस बात पर ध्यान देंगे - मैंने कोई वस्तु किसी से माँगी, ख़रीदी या ख़रीदवाई, तो उस वस्तु की मुझे ज़रूरत थी या केवल अच्छी लगने के कारण मैंने उसे चाहा।
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
सोमवार को जैसे ही बच्चे क्लास में पहुँचे, सभी ने एक-दूसरे से जानना चाहा कि उनकी रविवार की छुट्टी कैसी बीती।
मोहिनी ने कहा, “कल मैं अपने मम्मी-पापा के साथ बाज़ार गई थी और वहाँ से एक सुंदर और अनोखी चीज़ लाई हूँ।”
मोहिनी ने जैसे ही अपना बस्ता खोला, उसके दोस्तों ने उसे घेर लिया। सभी सोचने लगे आज वह क्या नया लेकर आई है?
मोहिनी ने अपने बस्ते से निकाली ...एक नई पेंसिल।
श्रेया के मुँह से निकला, “अरे देखो ! कितनी सुन्दर पेंसिल है!”
रज़ा ने कहा – और कितनी लंबी भी है!
कुलदीप बोल पड़ा – यह तो मुड़ती भी है!
अब तक कक्षा में टीचर आ चुकी थीं। उन्होंने बच्चों को सुलेख लिखने को दिया। बच्चों ने फटाफट काम पूरा किया और मैडम को दिखाने के लिए लाईन लगा ली। सबका काम देखने के बाद टीचर ने बताया कि श्रेया और कुलदीप की लिखाई बहुत सुन्दर है। यह सुनकर मोहिनी, श्रेया की कॉपी देखने गई। सचमुच में उसकी लिखाई सुन्दर थी। फिर उसने उसकी पेंसिल उठाई। वह तो एक साधारण सी पेंसिल थी।
मोहिनी के मन में विचार आया कि उसकी अपनी पेंसिल है तो सुन्दर, पर सुन्दर लिखने के लिए कोशिश तो उसे ख़ुद ही करनी होगी!
वहीं श्रेया सोच रही थी कि उसे एक सुन्दर पेंसिल की ज़रूरत है या उसकी साधारण सी पेंसिल ही अच्छी है!
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
● क्या आपको भी मोहिनी जैसी पेंसिल चाहिए? क्यों या क्यों नहीं?
● आपको क्या लगता है - पेंसिल कैसी होनी चाहिए? (जो दिखने में सुंदर हो या जिससे लिखाई अच्छी आए?)
● हम अपनी लिखाई कैसे सुधार सकते हैं? क्या इसमें सुंदर दिखने वाली पेंसिल मददगार होगी?
● दुकान से जब आप कोई चीज़ ख़रीदते हैं तो सुंदर है इसलिए ख़रीदते हैं या आपके काम आएगी इसलिए?
चर्चा की दिशा:
हर अच्छी लगने वाली वस्तु अच्छी भी हो, यह ज़रूरी नहीं। साथ ही यदि हमारी चाहत किसी वस्तु के केवल अच्छा लगने या दिखने के कारण है, परंतु हमने उसकी उपयोगिता और अपनी आवश्यकता पर विचार नहीं किया है, तो यह अनावश्यक के संग्रह का दबाव बनाता है। इससे वर्तमान मेंस्वयं के पास आवश्यक वस्तु उपलब्ध होने के बावजूद उस पल की ख़ुशी को हम खो देते हैं। इस कहानी पर आधारित चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों को इस निष्कर्ष तक पहुँचने में मदद की जाए कि वस्तु की सुंदरता से अधिक महत्वपूर्ण उसकी उपयोगिता है।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज हम इस बात पर ध्यान देंगे - मैंने कोई वस्तु किसी से माँगी, ख़रीदी या ख़रीदवाई, तो उस वस्तु की मुझे ज़रूरत थी या केवल अच्छी लगने के कारण मैंने उसे चाहा।
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- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
- ऐसा क्यों?
- पिकनिक
- दादी का जन्मदिन
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