कहानी का उददेश्य: इस ओर ध्यान जाए कि वस्तु से बड़ी ख़ुशी संबंधों में है। साथ ही विद्यार्थी उपलब्ध अवसरों में से बेहतर का चुनाव करने की ओर अग्रसर हो।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
पापा ने आज नया मोबाइल ख़रीदा। मनीषा ने उसमें विडियो देखी और गेम भी खेला। उसे बड़ा मज़ा आया। अगले दिन पापा मोबाइल लेकर काम पर चले गए। मनीषा जब स्कूल से लौटी तो उसे मोबाइल से खेलने की बड़ी बेचैनी हुई। शाम को पापा के घर आते ही उसने पापा के हाथ से मोबाइल छीना और लग गई उसमें गेम खेलने। पापा को उसका झपटना अच्छा नहीं लगा। उन्होंने उसे समझाया कि वो ऐसे न छीना करे। मांग लिया करे। गिर कर टूट भी तो सकता है। मनीषा हाँ ... हूँ करके फिर से लग गई खेलने।
अगले शाम उसका मन मोबाइल पर गेम खेलने का कर रहा था। मेज़ पर रखा पापा का फोन उसने उठा लिया। तभी उसने बाहर अपने दोस्तों की आवाज़ सुनी। वे लोग गली में बैडमिंटन खेल रहे थे और उसे भी खेलने के लिए बुला रहे थे। मनीषा ने एक पल सोचा और फिर मम्मी को बताकर बाहर खेलने निकल पड़ी। उसे बैडमिंटन खेलने में बड़ा मज़ा आया। दोस्तों के बीच तय हुआ कि वे अगले दिन भी खेलेंगे। जब वह घर लौटी तो नज़र मेज पर रखे मोबाइल पर पड़ी, पर उसका मन उस पर खेलने का नहीं हुआ। उसे वहीं छोड़ वह आगे बढ़ गई।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. मनीषा ने लौटकर मोबाइल क्यों नहीं उठाया?
2. आपको ज्यादा मज़ा कब आता है- मोबाइल पर गेम खेलने में, टीवी देखने में या किसी दोस्त/पापा-मम्मी के साथ बातें करने या खेलने में? क्यों?
3. यदि आपके मम्मी-पापा व्यस्त हों और आपके पास कोई काम न हो, ऐसे में आप क्या करना पसंद करते हैं/करेंगे?
चर्चा की दिशा :
मोबाइल फोन जहाँ अनेक प्रकार से हमारे लिए उपयोगी है, वहीं वह घर में उपस्थित परिवारजनों के आपसी संवाद और व्यक्ति के शारीरिक विकास को भी प्रभावित कर रहा है। ऐसे में इस कहानी पर आधारित चर्चा से अपेक्षा है कि विद्यार्थियों का ध्यान ऐसे विकल्पों की ओर जाए जो न केवल उन्हें प्रसन्नता दे, बल्कि वह उनके शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास में भी सहयोगी हो।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज स्कूल से जाने के बाद से कल स्कूल आने तक हम यह देखेंगे कि हमने मौज-मस्ती और खुशी के लिए कौन-से काम किए। उनमें सबसे ज़्यादा देर तक क्या किया?
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कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।
कहानी:
पापा ने आज नया मोबाइल ख़रीदा। मनीषा ने उसमें विडियो देखी और गेम भी खेला। उसे बड़ा मज़ा आया। अगले दिन पापा मोबाइल लेकर काम पर चले गए। मनीषा जब स्कूल से लौटी तो उसे मोबाइल से खेलने की बड़ी बेचैनी हुई। शाम को पापा के घर आते ही उसने पापा के हाथ से मोबाइल छीना और लग गई उसमें गेम खेलने। पापा को उसका झपटना अच्छा नहीं लगा। उन्होंने उसे समझाया कि वो ऐसे न छीना करे। मांग लिया करे। गिर कर टूट भी तो सकता है। मनीषा हाँ ... हूँ करके फिर से लग गई खेलने।
अगले शाम उसका मन मोबाइल पर गेम खेलने का कर रहा था। मेज़ पर रखा पापा का फोन उसने उठा लिया। तभी उसने बाहर अपने दोस्तों की आवाज़ सुनी। वे लोग गली में बैडमिंटन खेल रहे थे और उसे भी खेलने के लिए बुला रहे थे। मनीषा ने एक पल सोचा और फिर मम्मी को बताकर बाहर खेलने निकल पड़ी। उसे बैडमिंटन खेलने में बड़ा मज़ा आया। दोस्तों के बीच तय हुआ कि वे अगले दिन भी खेलेंगे। जब वह घर लौटी तो नज़र मेज पर रखे मोबाइल पर पड़ी, पर उसका मन उस पर खेलने का नहीं हुआ। उसे वहीं छोड़ वह आगे बढ़ गई।
चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. मनीषा ने लौटकर मोबाइल क्यों नहीं उठाया?
2. आपको ज्यादा मज़ा कब आता है- मोबाइल पर गेम खेलने में, टीवी देखने में या किसी दोस्त/पापा-मम्मी के साथ बातें करने या खेलने में? क्यों?
3. यदि आपके मम्मी-पापा व्यस्त हों और आपके पास कोई काम न हो, ऐसे में आप क्या करना पसंद करते हैं/करेंगे?
चर्चा की दिशा :
मोबाइल फोन जहाँ अनेक प्रकार से हमारे लिए उपयोगी है, वहीं वह घर में उपस्थित परिवारजनों के आपसी संवाद और व्यक्ति के शारीरिक विकास को भी प्रभावित कर रहा है। ऐसे में इस कहानी पर आधारित चर्चा से अपेक्षा है कि विद्यार्थियों का ध्यान ऐसे विकल्पों की ओर जाए जो न केवल उन्हें प्रसन्नता दे, बल्कि वह उनके शारीरिक, मानसिक एवं सामाजिक विकास में भी सहयोगी हो।
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
आज स्कूल से जाने के बाद से कल स्कूल आने तक हम यह देखेंगे कि हमने मौज-मस्ती और खुशी के लिए कौन-से काम किए। उनमें सबसे ज़्यादा देर तक क्या किया?
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- मिलजुल कर
- लंच ब्रेक
- आलू का पराँठा
- रोहन की जुराबें
- एक नई धुन
- मन का बोझ
- एक जूता
- दो दोस्त
- किसकी पेंसिल अच्छी?
- एक चिट्ठी दादाजी के नाम
- चंदू की सूझ-बूझ
- थोड़ी सी मस्ती
- फूलदान या गमला
- दोस्ती की दौड़
- मैं भी मदद करूँगा
- वो पैसे
- मेरे दोस्त की नाव
- बीच का पन्ना
- मैजिक स्ट्रॉ
- मोबाइल गेम
- हमारा प्यारा चाँद
- रोहित भैया का रॉकेट
- ऐसा क्यों?
- पिकनिक
- दादी का जन्मदिन
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