15. मैं भी मदद करूँगा

कहानी का उद्देश्य: विद्यार्थियों का ध्यान माता-पिता के योगदान की ओर जाए। साथ ही वे सम्बन्धों में जीने की ख़ुशी को एक बड़े आधार के रूप में पहचान पाएँ।

कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की प्रक्रिया से की जाए।

कहानी:
जॉर्ज के पापा की सब्जी की दुकान थी और वे बहुत मेहनत करते थे। कभी-कभी जॉर्ज भी पापा के साथ दुकान पर जाता और पापा की काम में मदद करता। जॉर्ज के बहुत सारे दोस्त भी थे, जब उसे समय मिलता तो अपने दोस्तों के साथ ख़ूब खेलता। जॉर्ज की मम्मी भी सारा दिन घर के काम करती। वह सबके लिए खाना बनाती, घर की सफ़ाई करती, सबके कपड़े धोती और पापा की दुकान में भी मदद करती थी। और जब उसके दोस्त घर आते, तो उसकी मम्मी उन्हें भी कुछ बनाकर खिलाती। जॉर्ज देखता था कि उसकी मम्मी पूरा दिन कितना काम करती थी। मम्मी बहुत थक जाती थी। वह मम्मी के काम में मदद करने की कोशिश करता था। जब मम्मी खाना बनाती तो वह सब्जी धो देता, जब मम्मी कपड़े धोती तो वो कपड़े सुखाने में मम्मी की मदद करता। घर की सफ़ाई में भी मम्मी के साथ लग जाता।
एक दिन शाम को जॉर्ज के दोस्त उसके घर आए और बोले, "चलो जॉर्ज क्रिकेट खेलने चलते हैं।” जॉर्ज उस समय घर के काम में मम्मी का साथ दे रहा था। जॉर्ज ने कहा, "अभी मैं मम्मी के साथ काम कर रहा हूँ, तुम जाकर खेलो! मैं बाद में आऊँगा।"
यह सुन दोस्तों के मुंह से निकला, “माना ये तुम्हारी मम्मी हैं, पर हमारी चाची भी तो हैं!” एक साथ निकली इस बात से सब ठहाका लगाकर हंस पड़े और सब काम में जुट गए। सबके साथ से काम जल्दी हो गया और सारे दोस्त खेलने चल पड़े।

चर्चा के लिए प्रस्तावित प्रश्न:
1. जॉर्ज ने अपनी मम्मी के काम में सहयोग क्यों किया?
2. जॉर्ज के दोस्तों ने काम में साथ क्यों दिया होगा?
3. क्या आप घर के काम में अपने मम्मी-पापा की मदद करते हैं? पिछली किसी एक बार की बात साझा कीजिए।
4. वैसा करके आपको कैसा लगा था? और मम्मी पापा को कैसा लगा था?
5. घर के काम करना किसकी ज़िम्मेदारी है? ऐसा आपको क्यों लगता है?

चर्चा की दिशा:
घर में किए जाने वाले अनेक कार्य पूरे परिवार के लिए होते हैं, किसी के व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं, जैसे - घर की साफ़ सफ़ाई, सभी के लिए भोजन की व्यवस्था आदि। पर कई बार ऐसा देखने में आता है कि माता-पिता द्वारा किए जाने वाले उन कार्यों को बच्चे श्रेय नहीं देते। इस कहानी आधारित चर्चा के माध्यम से विद्यार्थियों का ध्यान अपने माता-पिता के योगदान की ओर जाए और वे आवश्यकतानुसार अपनी योग्यता अनुरूप कार्यों में सहयोग करने को प्रेरित हों। साथ ही वे व्यक्तिगत खुशी और पारिवारिक खुशी के बीच तालमेल बिठाते हुए अपने निर्णय ले सकें।

कक्षा के अंत में 1-2 मिनट, शांति से बैठकर आज की चर्चा के निष्कर्ष के बारे में विचार करें।

घर जाकर देखो, पूछो, समझो (विद्यार्थियों के लिए)
इस बारे में हम कल सोचकर आएंगे कि कब ऐसा हुआ, जब हमने खेलना या टीवी देखने जैसे काम को छोड़ किसी के काम में मदद की हो।

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  1. मिलजुल कर
  2. लंच ब्रेक
  3. आलू का पराँठा
  4. रोहन की जुराबें
  5. एक नई धुन
  6. मन का बोझ
  7. एक जूता
  8. दो दोस्त
  9. किसकी पेंसिल अच्छी?
  10. एक चिट्ठी दादाजी के नाम
  11. चंदू की सूझ-बूझ
  12. थोड़ी सी मस्ती
  13. फूलदान या गमला
  14. दोस्ती की दौड़
  15. मैं भी मदद करूँगा
  16. वो पैसे
  17. मेरे दोस्त की नाव
  18. बीच का पन्ना
  19. मैजिक स्ट्रॉ
  20. मोबाइल गेम
  21. हमारा प्यारा चाँद
  22. रोहित भैया का रॉकेट
  23. ऐसा क्यों?
  24. पिकनिक
  25. दादी का जन्मदिन

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