गतिविधि का उद्देश्य: इस गतिविधि के माध्यम से बच्चों का ध्यान अपनी वस्तुओं को व्यवस्थित रखने की ओर जाए।
आवश्यक सामग्री: कुछ नहीं
शिक्षक नोट:
इस गतिविधि के माध्यम से अपनी वस्तुओं को व्यवस्थित रखने की ओर बच्चों का ध्यान ले जाने का प्रयास है। जब वे इस अंतर को महसूस करेंगे कि अव्यवस्थित रूप से रखी वस्तुएँ किस प्रकार हमें प्रभावित करती हैं, वे निष्कर्ष निकाल पाएंगे कि व्यवस्था में जीने में ही सुख है। व्यवस्था के लिए ज़रूरी है, नियम का होना, उसकी पहचान का होना एवं उसमें जीना। इसी में स्वयं के साथ-साथ अन्य लोगों का भी सुख निहित है।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
1. सभी बच्चे अपनी-अपनी एक नोट-बुक निकालकर एक जगह ढेर लगाएँगे और अपने स्थान पर वापस चले जाएंगे।
2. अब बच्चों से कहा जाएगा कि वे अपनी-अपनी नोट-बुक ढूंढ कर लाएँ ।
3. इसके बाद फिर से वे अपनी-अपनी नोट-बुक निकालकर रखेंगे, पर पंक्ति में। फिर से बच्चों से कहा जाएगा कि वे अपनी-अपनी नोट-बुक ढूंढ कर लाएँ।
विकल्प : इसी गतिविधि को बैग/पेन्सिल/जूते के ढेर लगाने और बाद में क्रम से रखकर उठाने के तरीके से करवाया जा सकता है। और उसी संदर्भ में निम्न प्रश्नों को बदलकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बात का ध्यान रखा जाए कि जूते के साथ इस गतिविधि के बाद बच्चों के हाथ साबुन से धुलवाए जाएँ।
गतिविधि हेतु प्रस्तावित प्रश्न:
1. सब लोग अपनी-अपनी नोट-बुक जल्दी कब ढूंढ पाए? क्यों?
2. क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आपको अपनी रखी वस्तु समय पर नहीं मिली? अपने साथ घटी वह घटना बताइए। ऐसा क्यों हुआ था?
3. क्या कभी ऐसा भी हुआ है जब आपको अपनी रखी वस्तु ख़राब होकर मिली? ऐसा क्यों हुआ था?
4. कब-कब ऐसा हुआ है कि आपको आपका रखा सामान आसानी से मिला? ऐसा क्यों हो पाया था?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
करके देखें: क्या आज हम प्रयास करके देख सकते हैं कि घर में अपना बैग, जूते, ब्रश, कंघी आदि निश्चित जगहों पर ही रखें? ऐसा करके कैसा लगा, हम कल साझा करेंगे।
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आवश्यक सामग्री: कुछ नहीं
शिक्षक नोट:
इस गतिविधि के माध्यम से अपनी वस्तुओं को व्यवस्थित रखने की ओर बच्चों का ध्यान ले जाने का प्रयास है। जब वे इस अंतर को महसूस करेंगे कि अव्यवस्थित रूप से रखी वस्तुएँ किस प्रकार हमें प्रभावित करती हैं, वे निष्कर्ष निकाल पाएंगे कि व्यवस्था में जीने में ही सुख है। व्यवस्था के लिए ज़रूरी है, नियम का होना, उसकी पहचान का होना एवं उसमें जीना। इसी में स्वयं के साथ-साथ अन्य लोगों का भी सुख निहित है।
कक्षा की शुरुआत 2-3 मिनट श्वास पर ध्यान देने की क्रिया से की जाए।
गतिविधि के चरण:
1. सभी बच्चे अपनी-अपनी एक नोट-बुक निकालकर एक जगह ढेर लगाएँगे और अपने स्थान पर वापस चले जाएंगे।
2. अब बच्चों से कहा जाएगा कि वे अपनी-अपनी नोट-बुक ढूंढ कर लाएँ ।
3. इसके बाद फिर से वे अपनी-अपनी नोट-बुक निकालकर रखेंगे, पर पंक्ति में। फिर से बच्चों से कहा जाएगा कि वे अपनी-अपनी नोट-बुक ढूंढ कर लाएँ।
विकल्प : इसी गतिविधि को बैग/पेन्सिल/जूते के ढेर लगाने और बाद में क्रम से रखकर उठाने के तरीके से करवाया जा सकता है। और उसी संदर्भ में निम्न प्रश्नों को बदलकर इस्तेमाल किया जा सकता है। इस बात का ध्यान रखा जाए कि जूते के साथ इस गतिविधि के बाद बच्चों के हाथ साबुन से धुलवाए जाएँ।
गतिविधि हेतु प्रस्तावित प्रश्न:
1. सब लोग अपनी-अपनी नोट-बुक जल्दी कब ढूंढ पाए? क्यों?
2. क्या कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आपको अपनी रखी वस्तु समय पर नहीं मिली? अपने साथ घटी वह घटना बताइए। ऐसा क्यों हुआ था?
3. क्या कभी ऐसा भी हुआ है जब आपको अपनी रखी वस्तु ख़राब होकर मिली? ऐसा क्यों हुआ था?
4. कब-कब ऐसा हुआ है कि आपको आपका रखा सामान आसानी से मिला? ऐसा क्यों हो पाया था?
कक्षा के अंत में 1-2 मिनट शांति से बैठें और अपने निष्कर्ष के बारे में विचार करें।
करके देखें: क्या आज हम प्रयास करके देख सकते हैं कि घर में अपना बैग, जूते, ब्रश, कंघी आदि निश्चित जगहों पर ही रखें? ऐसा करके कैसा लगा, हम कल साझा करेंगे।
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- नमस्कार (Hello)
- हा-हा ही-ही हो-हो
- मेरा शरीर
- हाथ ऊपर नीचे
- तुम में मुझ में क्या समान?
- सुनो और कूदो
- साथी और बॉल
- मेरी नोट-बुक
- जुगलबंदी (Duet)
- सुपर स्माइल (Super Smile)
- दर्पण (mirror)
- एक नई चुनौती
- पहचानो और छूओ
- काल्पनिक गेंद (Imaginary Ball)
- अंगुलियों को जोड़ें (Join the fingers)
- मेरी स्माइली
- मुझे ऐसा लगता है
- मेरी आवाज़
- इल्ली (caterpillar)
- पहचान कौन? (Guess Who?)
- कार एवं ड्राईवर
- रूको और चलो (Freeze and Melt)
- संतुलन (Balance)
- गौर करें और बताएँ
- आओ सुलझाएँ उलझन
- उल्टा – पुल्टा
- मुझमें क्या बदला पहचानो
- साथी की अच्छी बात
- उनकी तरह अभिनय करें
- क्या ग़ायब, क्या नया?
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